Last Updated on January 10, 2025 by Yogi Deep
महानिर्वाणी घाट, वाराणसी के पवित्र गंगा तट पर स्थित, न केवल महानिर्वाणी संप्रदाय के नागा साधुओं के प्रसिद्ध अखाड़े के कारण प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता भी अद्वितीय है। यह घाट प्राचीन कपिल मुनि के निवास से लेकर नेपाल के महाराजा द्वारा निर्मित शिव मंदिरों और ऐतिहासिक रूप से कपिल मुनि के निवास स्थान से जुड़ा यह घाट, आस्था और इतिहास का जीवंत प्रतीक है। इसके साथ ही गंगा के घाटों में इसका भी अपना एक अद्वितीय महत्व है।
घाट का नाम | महानिर्वाणी घाट |
क्षेत्र | वाराणसी |
निर्माण | 20वीं सदी |
निर्माता | 1988 में उत्तर प्रदेश सरकार सिंचाई विभाग द्वारा पुनर्निर्माण |
विशेषता | महानिर्वाणी अखाड़ा, आचार्य कपिल मुनि का निवास स्थल |
महानिर्वाणी घाट
महानिर्वाणी घाट, वाराणसी के निरंजनी घाट की उत्तरी सीमा से सटा हुआ, अपनी ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध है। यह घाट महानिर्वाणी संप्रदाय के नागा साधुओं के प्रसिद्ध अखाड़े के कारण जाना जाता है, और इसी अखाड़े के नाम पर इसका नामकरण हुआ। यह घाट पहले चेतसिंह किले का हिस्सा था और अब गंगा तट से अखाड़े की पूर्वी दीवार तक सुदृढ़ पत्थर की सीढ़ियों से सुसज्जित है।

1988 में उत्तर प्रदेश सरकार ने घाट के ऊपरी भाग का पुनर्निर्माण सिंचाई विभाग के माध्यम से कराया। हालांकि, घाट के उत्तरी भाग में नाले के मिलने के कारण स्नानार्थियों की संख्या नगण्य है। इसके समीप मदर टेरेसा द्वारा संचालित दीन-हीन संगति निवास स्थित है, जहां निःसहाय, अपाहिज, और रोगग्रस्त लोगों का उपचार किया जाता है।
महानिर्वाणी घाट का इतिहास:
महानिर्वाणी घाट, महानिर्वाणी संप्रदाय के नागा साधुओं के अखाड़े के कारण प्रसिद्ध है और इसी अखाड़े के नाम पर इसका नामकरण भी हुआ। 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में इस अखाड़े की स्थापना चेतसिंह किले के उत्तरी भाग में की गई थी। इस घाट के भीतर नेपाल के महाराजा द्वारा निर्मित चार छोटे-छोटे शिव मंदिर स्थित हैं, जो इसकी धार्मिक महत्ता को और बढ़ाते हैं।
इतिहास के पन्नों में यह उल्लेख भी मिलता है कि 7वीं शताब्दी ईस्वी के समय में सांख्य दर्शन के आचार्य कपिल मुनि ने इस घाट पर निवास किया था। यह प्राचीन घाट न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि भारत की गूढ़ सांस्कृतिक और दार्शनिक परंपराओं का भी प्रतीक है।
स्नान और अन्य धार्मिक गतिविधियाँ
महानिर्वाणी घाट के उत्तरी भाग में एक नाला गंगा में मिल जाता है, जिससे यहाँ स्नान करने वालों की संख्या कम दिखाई देती है। हालांकि, घाट का धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक शांति इसके बावजूद पर्यटकों और श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
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महानिर्वाणी घाट न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम है। यहाँ का वातावरण और इतिहास सभी को एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है, जो जीवन में शांति और संतुलन की तलाश करने वालों के लिए आदर्श स्थल बन चुका है।