Last Updated on January 12, 2025 by Yogi Deep
शिवाला घाट, 19वीं ई० तक एक विस्तृत क्षेत्र में फैला था, यह तत्कालीन काशी नरेश बलवन्त सिंह द्वारा निर्मित एक ऐतिहासिक स्थल है। यहाँ नेपाल के राजा संजय विक्रम शाह द्वारा बने विशाल भवन और शिव मंदिर के साथ ही काशीराज द्वारा स्थापित ब्रह्मेद्र मठ, यहाँ के प्रमुख आकर्षण के केंद्र हैं। भले ही इस घाट का धार्मिक महत्व सीमित हो, लेकिन 20वीं शती तक यह सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण था, विशेषकर बुढ़वा मंगल मेले के कारण। तो आइये इस घाट के बारे में विस्तार से जानते हैं।
घाट का नाम | शिवाला घाट |
क्षेत्र | वाराणसी |
निर्माण | 18वीं सदी |
निर्माता | श्री काशी नरेश बलवंत सिंह |
विशेषता | शिव मंदिर, ब्रह्मेद्र मठ एवं विशाल भवन |
दर्शनीय स्थल | शिव मंदिर व ब्रह्मेद्र मठ |
शिवाला घाट का इतिहास
शिवाला घाट का इतिहास बहुत ही रोचक और समृद्ध है। इस घाट का निर्माण 18वीं ई० में बलवंत सिंह द्वारा कराया गया था। समय के साथ यह घाट कई हिस्सों में बाँट गया, लेकिन प्राचीन घाट का उत्तरी भाग आज भी अपने पुराने नाम से ही पहचाना जाता है। 19वीं शती के उत्तरार्ध तक यह घाट विस्तृत क्षेत्र में फैला हुआ था, जो वर्तमान शिवालाघाट से लेकर दक्षिण में पंचकोटघाट तक जाता था। शिवाला घाट पर कई महत्वपूर्ण भवन भी स्थित हैं, जिनमें नेपाल के राजा संजय विक्रम शाह द्वारा निर्मित विशाल भवन और शिव मंदिर प्रमुख हैं।

इसके अलावा, काशीराज द्वारा स्थापित ब्रहोंद्र मठ भी यहाँ स्थित है, जो दक्षिण भारतीय तीर्थयात्रियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थल रहा है। यहाँ दक्षिण भारतीय तीर्थयात्रियों के ठहरने की व्यवस्था भी है। हालांकि, इस घाट का धार्मिक महत्व सीमित है, लेकिन सांस्कृतिक दृष्टि से यह घाट 20वीं शती तक विशेष रूप से महत्वपूर्ण था। चेतसिंहघाट पर होने वाले बुढ़वा मंगल मेले का क्षेत्र भी इस घाट तक विस्तृत था, जो इसे और भी ऐतिहासिक बनाता है।
घाट की विशेषता
- मंदिर एवं विशाल भवन: यह घाट नेपाल नरेश संजय विक्रम शाह द्वारा निर्मित विशाल भवन और भव्य शिव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
- धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल: काशीराज द्वारा स्थापित ब्रह्मेद्र मठ दक्षिण भारतीय तीर्थयात्रियों के निवास और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए विशेष स्थान है।
- बुढ़वा मंगल मेला: घाट पर 20वीं शती ई० तक बुढ़वा मंगल मेले का आयोजन चेतसिंहघाट से शिवाला घाट तक होता था।
घाट का पुनर्निर्माण
1988 ई० में राज्य सरकार के सहयोग से शिवाला घाट का पुनर्निर्माण सिंचाई विभाग द्वारा किया गया। यह घाट बलुआ पत्थरों से बना एक सुदृढ़ एवं स्वच्छ घाट है। गंगा तट से गली तक फैले इस घाट पर स्थानीय ब्रह्मेद्र मठ में निवास करने वाले तीर्थयात्री स्नान और धार्मिक अनुष्ठानों इत्यादि को करते हैं। यह पुनर्निर्माण घाट की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्ता को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास रहा है।