निषादराज घाट, वाराणसी

लेख - Yogi Deep

Last Updated on December 26, 2024 by Yogi Deep

काशी अपने ऐतिहासिक घाटों के लिए प्रसिद्ध है और उन्ही घाटों में से एक है काशी में स्थित निषादराज घाट, जो  काशी की सामाजिक एकता का प्रतीक है। काशी के 84 घाटों में दो घाट त्रेतायुग के श्री राम भक्त निषादराज के नाम पर बने हैं। पहला निषादराज घाट प्रभु घाट के पास स्थित है, यह घाट प्रारंभ में प्रभु घाट का ही हिस्सा हुआ करता था, एवं दूसरा घाट प्रहलाद घाट के पास स्थित है।

निषादराज घाट का ऐतिहासिक महत्व

निषादराज घाट काशी के प्रमुख घाटों में एक है, जिसका नाम त्रेतायुग की प्रसिद्ध कथा से जुड़ा हुआ है। रामायण में, निषादराज की भूमिका को विशेष रूप से उल्लेखित किया गया है। भगवान राम को गंगा पार कराने वाले निषादराज ने अपनी भक्ति और श्रद्धा का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया। उसी समाज को समर्पित, यह घाट उनकी श्रद्धा और आस्था को दर्शाता है।

निषादराज घाट

काशी की घाटों में पहला निषादराज घाट काशी के प्रभु घाट का हिस्सा हुआ करता था। लेकिन समय के साथ यह स्थान निषाद जाति के लोगों के रहने का स्थान बन गया इन स्थानों से वे अपनी नावों पर दृष्टि रखते थे, अतः इस स्थान का नाम निषादराज घाट पड़ गया। यह घाट जैन घाट के समीप ही स्थित है। निषाद समाज के लोगों नें यहाँ एक निषादराज मंदिर का निर्माण भी कराया। घाट के किनारे रंग-बिरंगे छोटे घर हैं, जो गंगा की ओर मुख किए हुए हैं। यहाँ के मल्लाहों (नाविकों) की उपस्थिति इस घाट की संस्कृति और परंपरा का अहम हिस्सा है।

यह घाट, काशी के अन्य घाटों की तरह शांत गंगा नदी के तट पर स्थित है, जहाँ नाविक अपनी नावों की देखभाल करते हैं और गंगा की लहरों पर अपनी जीवन यात्रा को जारी रखते हैं। यह घाट खास तौर पर मल्लाह (नाविक) समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है, जो सदियों से गंगा नदी के साथ जुड़े हुए हैं।

निषादराज घाट और निषाद समाज

निषादराज घाट पर हर वर्ष निषादराज जयंती का आयोजन बड़े धूमधाम से किया जाता है। इस दिन, गंगा में नौका संचालन नहीं होता है और निषाद समाज घाटों पर भंडारे का आयोजन करते हैं। यह एक सांस्कृतिक और धार्मिक उत्सव होता है, जिसमें गंगा के किनारे के लोग एकत्र होते हैं।

निषादराज घाट
निषादराज घाट

वर्तमान समय में, ‘मां गंगा निषाद राज सेवा न्यास‘ के अध्यक्ष प्रमोद मांझी की अगुवाई में यह जयंती मनाई जाती है। काशी के सभी 84 घाटों के नाविक इस आयोजन में भाग लेते हैं, जो घाट की सांस्कृतिक विविधता और सामाजिक एकता को दर्शाता है।

निषादराज घाट का सांस्कृतिक योगदान

निषादराज घाट का योगदान काशी की समृद्ध संस्कृति और नदी की पारंपरिक जीवन शैली को बनाए रखने में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह घाट न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय मल्लाह समुदाय की जीविका और जीवनशैली को भी प्रदर्शित करता है। काशी में गंगा के किनारे बसे मल्लाहों की जीवन शैली, उनकी संस्कृति, और उनकी आस्था, इस घाट पर आज भी जीवंत है।

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यह घाट काशी का एक अनमोल रत्न है, जो न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह काशी की ऐतिहासिक और नदी से जुड़ी पारंपरिक जीवनशैली को भी जीवित रखता है। यह घाट गंगा नदी की लहरों में बसी उस गहरी आस्था, भक्ति और श्रद्धा को दर्शाता है जो काशी के प्रत्येक घाट में समाहित है। 

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