लाली घाट, वाराणसी

लेख - Yogi Deep

Last Updated on February 16, 2025 by Yogi Deep

लाली घाट बनारस के कई प्रसिद्ध में से एक है। लाली घाट को लल्ली घाट के नाम से भी जाना जाता है। इस घाट का नाम बिहार के चम्पारन क्षेत्र के संत लाली बाबा के नाम पर पड़ा है। घाट पर लाली बाबा द्वारा स्थापित गूदड़दास का अखाड़ा भी है। घाट पर अखाड़े के साथ-साथ भगवन शिव, गणेश जी एवं हनुमान जी की छोटी छोटी मुर्तिया स्थापित हैं। आइये इस घाट के बारे में विस्तार से जानते हैं।

घाट का नामलाली घाट
क्षेत्रवाराणसी
निर्माण19वीं सदी
निर्मातामहाराजा विजयानगरम् द्वारा
विशेषतागूदड़दास अखाड़ा
दर्शनीय स्थलघाट पर स्थित शिव जी, गणेश जी और हनुमान जी की मूर्तियाँ

लाली घाट का इतिहस

ऐतिहासिक संदर्भों के अनुसार इस घाट पर संत लाली बाबा का निवास स्थान था, जिस कारण इस घाट का नाम लाली घाट/ लल्लीघाट पड़ा। यह घाट हरिश्चंद्र घाट एवं विजयानगरम् घाट के मध्य में स्थित है। इस घाट का प्रथम उल्लेख जेम्स प्रिन्सेप ने सन 1831 ईस्वी में किया था। 19वीं शताब्दी तक यह एक कच्चा घाट हुआ करता था। सर्वप्रथम इस घाट का पक्का निर्माण 19वीं शताब्दी में ही विजयानगरम् के महाराजा नें करवाया। सन 1988 ई० तक घाट जीर्ण हो गया, तब सिंचाई विभाग नें इस घाट का जीर्णोद्धार किया।

Lali Ghat - लाली घाट
Lali Ghat – लाली घाट

संत लाली बाबा

लाली घाट पर संत लाली बाबा का निवास स्थल था, जिसके परिणाम स्वरूप इस घाट का नाम भी लाली घाट पड़ा। संत लाली बाबा बिहार के चंपारण क्षेत्र के मूल निवासी थे। इसी घाट पर बाबा द्वारा स्थापित गूदड़दास का अखाड़ा (वी. 6/95) आज भी स्थित है। संत लाली बाबा यहीं पर अपने नित्य कर्म एवं ध्यान इत्यादि अनुष्ठान किया करते थे। उस समय लाली बाबा जैसे अनेकों संतों का निवास स्थान काशी के घाटों के किनारे होता था। काशी के अधिकतर संत घाट किनारे अपने पूजा पाठ, योग ध्यान इत्यादि कर्म किया करते थे।

घाट की विशेषता

  • ऐतिहासिक नामकरण: लाली घाट, जिसे लल्ली घाट भी कहा जाता है, का नाम संत लाली बाबा के नाम पर रखा गया है, जो चम्पारन (बिहार) के निवासी थे और यहां रहते थे।
  • गूदड़दास अखाड़ा: घाट पर संत लाली बाबा द्वारा स्थापित गूदड़दास अखाड़ा आज भी सुरक्षित है।
  • प्राचीन उल्लेख: इस घाट का पहला उल्लेख 1831 ई. में जेम्स प्रिन्सेप द्वारा किया गया था, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करता है।
  • स्थापत्य सौंदर्य: 19वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में महाराजा विजयानगरम् ने इस कच्चे घाट को पक्का रूप दिया। 1988 में सिंचाई विभाग द्वारा इसकी मरम्मत कराई गई।
  • देवकुलिकाएँ और मूर्तियाँ: घाट की सीढ़ियों पर शिव जी, गणेश जी और हनुमान जी की छोटी-छोटी मूर्तियाँ स्थापित हैं।

वर्तमान में लाली घाट

वर्तमान में घाट के उत्तरी भाग में गंगातट से जुड़ी पक्की सीढ़ियाँ हैं, जो इसे विजयानगरम् घाट से अलग करती हैं। घाट पर ही शवदाह की गंदगी के कारण यहाँ स्नान करने वालों की संख्या कम है, फिर भी यह घाट अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

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