दरभंगा घाट, वाराणसी

लेख - Yogi Deep

Last Updated on May 27, 2025 by Yogi Deep

वाराणसी, जिसे “घाटों का शहर” कहा जाता है, अपने अद्वितीय आध्यात्मिक आभा और ऐतिहासिक घाटों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इन्हीं में से एक है दरभंगा घाट—एक ऐसा स्थान जो अपनी कलात्मक संरचनाओं और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यदि आप वाराणसी की यात्रा पर हैं, तो इस घाट की समृद्ध विरासत और स्थापत्य सौंदर्य को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

घाट का नामदरभंगा घाट
क्षेत्रवाराणसी
निर्माण1920 ई०
निर्मातादरभंगा (बिहार) के महाराजा द्वारा
विशेषताभव्य महल
वर्तमान स्थितिपक्का, मजबूत एवं स्वच्छ घाट

दरभंगा घाट का इतिहास

दरभंगा घाट का आरंभिक निर्माण 1812 ई. में नागपुर के राजा के मंत्री श्रीधर मुंशी द्वारा करवाया गया था। उस समय यह घाट मुंशी घाट का ही हिस्सा हुआ करता था। बाद में, 1920 ई. के आसपास, इस घाट के दक्षिणी हिस्से को दरभंगा (बिहार) के महाराजा ने क्रय किया और उसके बाद इसे स्वतंत्र रूप से दरभंगा घाट के रूप में विकसित किया गया। इस क्रय और पुनर्निर्माण से घाट की पहचान में उल्लेखनीय परिवर्तन आया और यह एक आकर्षक पर्यटन स्थल बन गया। से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह ब्रिटिश काल और भारतीय रियासतों के बीच सांस्कृतिक समन्वय का भी प्रतीक है।

Darbhanga Ghat - दरभंगा घाट
Darbhanga Ghat – दरभंगा घाट

स्थापत्य विशेषताएँ

दरभंगा घाट का सबसे प्रमुख आकर्षण है चुनार के बलुआ पत्थर से निर्मित भव्य महल। यह महल अत्यंत कलात्मक और शिल्पशैली में निपुण है। महल के उत्तर और दक्षिण दोनों किनारों पर सुंदर बुर्जियाँ (मीनारें) निर्मित हैं जो इसकी राजसी छवि को और भी सुदृढ़ करती हैं।

गंगा नदी से महल की ओर जाने वाली चौड़ी और मजबूत सीढ़ियाँ इस घाट की विशेषता हैं, जिनका पुनर्निर्माण 1930 ई. के बाद दरभंगा नरेश द्वारा कराया गया था। ये सीढ़ियाँ न केवल सौंदर्य की दृष्टि से बल्कि व्यावहारिक उपयोग के लिए भी अत्यंत उपयोगी हैं।

वर्तमान स्वरूप और उपयोगिता

आज के समय में दरभंगा घाट एक पक्का, मजबूत और स्वच्छ घाट के रूप में जाना जाता है। यद्यपि इस घाट का धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व अन्य प्रमुख घाटों की तुलना में कम है, फिर भी इसकी स्वच्छता, सुंदरता और सुव्यवस्थित सुविधाओं के कारण स्थानीय निवासी यहाँ स्नान- ध्यान जैसी दैनिक गतिविधियों के लिए आते हैं। सूर्योदय-सूर्यास्त के दृश्यों का आनंद लेने के लिए यह एक आदर्श स्थान है। 

यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

  • सबसे अच्छा समय: सुबह 5-7 बजे (सूर्योदय) और शाम 5-7 बजे (सूर्यास्त)।
  • कैसे पहुँचें: वाराणसी रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से ऑटो/रिक्शा द्वारा 20-30 मिनट में पहुँचा जा सकता है।
  • निकटतर आकर्षण: दशाश्वमेध घाट, काशी विश्वनाथ मंदिर, और मणिकर्णिका घाट।

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