दण्डी घाट, वाराणसी

लेख - Yogi Deep

Last Updated on February 2, 2025 by Yogi Deep

दण्डी घाट, वाराणसी के प्रमुख घाटों में से एक, अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्ता के लिए जाना जाता है। इसका सबसे पहला उल्लेख 1868 ई. में प्रसिद्ध यात्री शेरिंग ने किया था। दण्डी स्वामियों के मठ और निवास स्थान के कारण इसे “दण्डी घाट” नाम मिला। 20वीं शताब्दी के प्रारंभ में, इस घाट का पक्का निर्माण लल्लूजी अग्रवाल ने करवाया, जिससे यह और भी आकर्षक और सुव्यवस्थित बन गया। स्थानीय लोग इसकी स्वच्छता और आध्यात्मिक शांति के कारण यहाँ स्नान और पूजा करने आते हैं। यह लेख दण्डी घाट के इतिहास, संस्कृति और वर्तमान महत्व को विस्तार से जानने का एक प्रयास है।

घाट का इतिहस 

दण्डी घाट, वाराणसी के प्राचीन और पवित्र घाटों में से एक, अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए विशेष रूप से पहचाना जाता है। यह घाट गुलरिया घाट एवं हनुमान घाट के मध्य में स्थित है। इसका पहला उल्लेख 1868 ई. में प्रसिद्ध यात्री शेरिंग ने किया था। घाट का नामकरण यहां स्थित दण्डी स्वामियों के मठ और उनके निवास स्थान के कारण हुआ। 20वीं शताब्दी के आरंभ में, लल्लूजी अग्रवाल ने इस घाट का पक्का निर्माण करवाया, जिससे यह स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया। यह घाट न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि वाराणसी की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर का अद्वितीय उदाहरण भी है।

घाट की विशेषताएं

Dandi Ghat - दण्डी घाट
Dandi Ghat – दण्डी घाट

दण्डी घाट, वाराणसी के उन घाटों में से है जो स्वच्छता और स्थानीय आकर्षण के लिए प्रसिद्ध है। हालांकि इसका धार्मिक दृष्टिकोण से अधिक महत्व नहीं है, लेकिन यहां स्थित दण्डी स्वामियों का मठ और निवास इसे एक विशिष्ट पहचान देते हैं। घाट के ऊपरी हिस्से में व्यायामशाला और शिव मंदिर स्थित है। स्नान की उत्तम सुविधाओं और स्वच्छ वातावरण के कारण स्थानीय लोग नियमित रूप से यहां स्नान-ध्यान के लिए आते हैं। यह घाट शांति और स्वच्छता की तलाश करने वालों के लिए एक आदर्श स्थान है।

घाट का संरक्षण 

घाट के संरक्षण और पुनर्निर्माण में उत्तर प्रदेश सरकार की भूमिका उल्लेखनीय रही है। 1958 ई. में उत्तर प्रदेश सरकार ने घाट का पुनर्निर्माण कर इसे एक नई पहचान दी गई। वर्तमान में यह घाट चुनार के बलुआ पत्थरों से निर्मित है, जो इसे पक्का, स्वच्छ और सुदृढ़ बनाते हैं। यह संरक्षण प्रयास न केवल इसकी भौतिक संरचना को सहेजने में सहायक हुआ, बल्कि इसे स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए आकर्षक और सुविधाजनक स्थल भी बना दिया। 

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