हनुमान घाट, वाराणसी

लेख - Yogi Deep

Last Updated on January 26, 2025 by Yogi Deep

काशी के प्राचीन घाटों में से एक हनुमान घाट, अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के कारण एक विशेष स्थान रखता है। इसे प्राचीनकाल में रामेश्वर घाट के नाम से जाना जाता था, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि भगवान राम ने अपने काशी यात्रा के दौरान स्वयं यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। घाट पर स्थित रामेश्वर मंदिर इसकी प्राचीनता और दिव्यता का प्रतीक है। 

घाट का नामहनुमान घाट
क्षेत्रवाराणसी
निर्माण18वीं सदी
निर्मातातुलसीदास
विशेषताहनुमान मंदिर एवं रामेश्वरम् शिवलिंग
दर्शनीय स्थलहनुमान मंदिर, रामेश्वरम् शिवलिंग एवं जूना अखाड़ा

कालांतर में, संत तुलसीदास द्वारा स्थापित हनुमान मंदिर के कारण इसका नाम हनुमान घाट पड़ा। यह घाट न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां बल्लभाचार्य जैसे महान संतों ने निवास किया एवं मोक्ष की प्राप्ति की। काशी में स्थित रामेश्वरम् शिवलिंग की पूजा तमिलनाडु के प्रसिद्ध रामेश्वरम् शिवलिंग  प्रतिरूप में होती है। इसके अतिरिक्त, घाट पर नागा साधुओं का प्रसिद्ध जूना अखाड़ा भी स्थित है, जो इसकी आध्यात्मिक विरासत को और समृद्ध बनाता है।

घाट का इतिहस 

18वीं शताब्दी ईस्वी में निर्मित हनुमान घाट यहाँ स्थित हनुमान मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जिसे संत तुलसीदास द्वारा स्थापित मंदिरों में से एक माना जाता है। घाट पर हनुमान मंदिर होने से इसका नाम हनुमान घाट पड़ा। घाट का प्राचीन नाम रामेश्वर घाट (रामेश्वरम घाट/ रामघाट) था, घाट के नामकरण और इतिहास में भगवान राम की विशेष भूमिका मानी जाती है। मान्यता है कि काशी यात्रा के दौरान भगवान राम ने स्वयं यहां शिवलिंग की स्थापना की थी, जो अब जूना अखाड़े (बी. 4/43) के परिसर में स्थित है।

Hanuman Ghat - हनुमान घाट, वाराणसी
Hanuman Ghat – हनुमान घाट, वाराणसी

17वीं शताब्दी के ग्रंथ “गीर्वाणपदमंजरी” में भी इस स्थान पर स्थित शिवलिंग का उल्लेख मिलता है। इसी घाट का उल्लेख जेम्स प्रिन्सेप नें 1831 ई० में किया था। 19वीं शताब्दी तक, यह घाट अपने विस्तृत स्वरूप में दंडी घाट से लेकर हरिश्चंद्र घाट के दक्षिणी भाग तक फैला हुआ था। बाद में इसे विभाजित कर हनुमान घाट और कर्नाटक घाट नाम दिए गए।1

घाट पर स्थित रामेश्वर शिवलिंग को दक्षिण भारत के प्रसिद्ध रामेश्वरम का प्रतिनिधि माना जाता है। ऐतहासिक रूप से यह स्थान दक्षिण भारतीय संस्कृति का केंद्र भी है, जहां स्थानीय दक्षिण भारतीय समुदाय के साथ काशी आने वाले तीर्थयात्री पूजा-अर्चना और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। घाट पर स्नान-दान का विशेष महत्व है, जो इसे काशी की सांस्कृतिक विविधता और धार्मिक महत्व का प्रतीक बनाता है।

इसके अलावा, यहां एक रोचक कथा प्रचलित है कि घाट की सीढ़ियां बनारस के एक जुआरी नंद दास ने अपनी एक दिन की कमाई से बनवाई थीं2

घाट की विशेषता

  • हनुमान घाट पर स्वयं प्रभु श्री राम द्वारा स्थापित रामेश्वरम् शिवलिंग स्थित है।
  • घाट पर तुलसीदस जी द्वारा स्थापित हनुमान मंदिर स्थित है।
  • इस घाट पर जूना अखाड़ा भी स्थित है जो नागा साधुओं का स्थान है।
  • इन सब के अतरिक्त यह बल्लभाचार्य जैसे महान संतों की निवास स्थली के रूप में प्रसिद्ध है।

वर्तमान में घाट

वर्तमान में हनुमान घाट एक पक्के और स्वच्छ स्वरूप में स्थित है। यहां स्थानीय लोग स्नानआदि के लिए आते हैं, जिससे इसका सांस्कृतिक महत्व और भी बढ़ जाता है। घाट के ऊपरी भाग में स्थित व्यायामशाला इसे खास बनाती है, जहां जोड़ी-गदा और कुश्ती की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इसके साथ ही, गंगा नदी से जुड़े विभिन्न आयोजनों का क्रम यहां पूरे साल चलता रहता है, जो इसे धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बनाता है।

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सन्दर्भ

  1. History of Varanasi 1206 to 1761 Sachindra Pandey ↩︎
  2. काशी का इतिहास – डॉ० मोतीचंद पेज – 391 ↩︎
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