वाराणसी के प्रसिद्ध मंदिर

लेख - Yogi Deep

Last Updated on March 26, 2025 by Yogi Deep

वैसे तो काशी को मंदिरों का शहर कहा जाता है एवं काशी के कण-कण में भगवान शिव का निवास माना गया है। अब ऐसे में जहां कण-कण में शिव का वास हो वहां कुछ प्रसिद्ध मंदिरों का चयन करना अति कठिन हो जाता है। काशी में चार धाम मंदिर, 12 आदित्य, 12 ज्योतिर्लिंग, नवदुर्गा, नवगौरी, 56 विनायक जैसे अनेकों प्रसिद्ध मंदिर हैं, परंतु इनमें से कुछ मंदिर ऐसे हैं जहां लोग दर्शन करने अवश्य जाना चाहते हैं। इस लेख के माध्यम से हम काशी के उन प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताएंगे जहां श्रद्धालु दर्शन करने अवश्य जाते हैं। 

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर

काशी में माँ गंगा के शांत तट पर स्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर भारत में स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर काशी के प्रमुख मंदिरों में अग्रणी है। काशी में स्थित इस मंदिर को श्री काशी विश्वनाथ या विश्वेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है।

द्वादश ज्योतिर्लिंग मे से सबसे ज्यादा प्रसिद्ध बाबा विश्वनाथ यहीं विराजमान हैं। वर्तमान में  बाबा विश्वनाथ धाम विश्वनाथ कॉरिडोर के नाम से भले ही प्रसिद्ध और वैभवशाली है लेकिन इतिहास इस महत्वपूर्ण धाम की विध्वंस और निर्माण का साक्षी रहा है। ऐसा माना जाता है कि काशी का यह मंदिर भगवान शिव के त्रिशूल पर स्थित है एवं प्रलय काल में भी इस नगरी का नाश नहीं होता है। 

कैसे पहुंचे

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचने के लिए आपको एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन एवं वाराणसी के किसी भी कोने से सीधे मंदिर तक पहुंचाने के लिए टैक्सी अथवा अन्य साधन उपलब्ध है। इस मंदिर पर आप गंगा घाट किनारे होते हुए पैदल अथवा नाव से भी जा सकते हैं।

कालभैरव मंदिर

Kaal Bhairav, Varanasi
Kaal Bhairav, Varanasi

काल भैरव जी ने काशी का कोतवाल भी कहा जाता है। काशी में निवास करने वाले यह भी मानते हैं कि श्री काल भैरव स्वयं बाबा विश्वनाथ के कोतवाल हैं एवं पूरा नगर उन्हीं के देखरेख में है, जिसकी रक्षा स्वयं काल भैरव करते हैं। बाबा काल भैरव का मंदिर वाराणसी के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है। बाबा को सरसों के तेल का दीपक एवं मदिरा चढ़ाने की परंपरा है। यहां भूत प्रेत एवं जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति प्राप्त करने वाले श्रद्धालु आते हैं।

काशी में काल भैरव अन्य आठ स्थानों पर भी स्थित है जिन्हें अष्टभैरव कहा जाता है। वैसे तो काशी में काल भैरव का मंदिर हजारों वर्षों से स्थित है, परंतु वर्तमान मंदिर का निर्माण बंगाल की महारानी श्री भवानी देवी ने लगभग 18 वीं शताब्दी में कराया था। 

कैसे पहुंचे

काल भैरव मंदिर जाने के लिए आपको हर तरफ से साधन उपलब्ध है। यह मंदिर भैरवनाथ गली में स्थित है। यहां आप एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन या सड़क मार्ग से भी सीधे-सीधे पहुंच सकते हैं।

श्री संकट मोचन हनुमान जी

संकट मोचन हनुमान जी
संकट मोचन हनुमान जी

संकट मोचन हनुमान जी का मंदिर काशी के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, जिसकी स्थापना स्वयं गोस्वामी तुलसीदास जी ने की थी। काशी में इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि संकट मोचन बाबा अपने भक्तों के संकट को हर लेते हैं। इस मंदिर में प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को दर्शन के लिए विशेष भीड़ होती है। यहां हनुमान जी को तुलसी एवं शुद्ध देसी घी के लड्डू, पेड़े एवं अन्य मिष्ठान चढ़ाए जाते हैं।

काशी में संकट मोचन मंदिर की स्थापना स्वयं तुलसीदास जी ने सन 1630 से लेकर 1680 के आसपास की थी। वर्तमान मंदिर की स्थापना काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक श्री महामना मदन मोहन मालवीय जी के द्वारा सन 1900 ईस्वी में हुई थी। 

कैसे पहुंचे

मंदिर परिसर में जाने के लिए दो द्वार हैं। प्रथम मुख्य द्वारा दुर्गा कुंड लंका मार्ग पर स्थित है एवं दूसरा द्वार काशी हिंदू विश्वविद्यालय के तरफ से आने वाले गलियों से होकर गुजरता है।

दुर्गा मन्दिर दुर्गाकुण्ड

दुर्गा मन्दिर दुर्गाकुण्ड
दुर्गा मन्दिर दुर्गाकुण्ड

दुर्गा कुण्ड पर स्थित यह मंदिर माता कूष्माण्डा देवी को समर्पित है, परंतु आम बोलचाल की भाषा में इसे दुर्गा कुण्ड मंदिर अथवा (पूर्व में विदेशियों द्वारा मंकी टेंपल) कहा जाता है। इस मंदिर के पास ही एक आकर्षक कुण्ड भी स्थित है, परंतु वर्तमान में स्वच्छता के कारण इस कुण्ड को तारों से घेर दिया गया है। लोग ऐसा मत था कि एक समय या कुंड सीधे गंगा नदी से जुड़ा हुआ था और इस कुंड में गंगा जी का पानी सीधे आता था। 

दुर्गाकुण्ड मंदिर का निर्माण नाटोर की रानी भवानी ने सन् 1760 ईस्वी में करवाया था। लेकिन देवी भागवत के अध्याय 23 के अनुसार यह मंदिर काशी में काशी नरेश सुबाहू के समय से स्थित है। इस मंदिर के संदर्भ में एक कथा भी प्रचलित है कि, एक बार काशी नरेश ने अपनी पुत्री शशि कला का विवाह करने के लिए स्वयंवर का आयोजन कराया था। परंतु जब राजा को पता चला कि उनकी पुत्री एक वनवासी राजकुमार से प्रेम करती है तो उन्होंने उनका गुप्त विवाह करवा दिया।

जब यह बात वहां आए राजाओं को पता चली तो वे उस वनवासी राजकुमार से युद्ध करने के लिए आतुर हो गए। तब वनवासी राजकुमार ने इसी दुर्गा कुण्ड पर स्थित माता कूष्माण्डा का ध्यान किया और माता स्वयं सिंह पर सवार होकर राजकुमार के पक्ष से युद्ध लड़के उन्हें विजय दिलाया। माता कूष्माण्डा देवी काशी की रक्षा करने के लिए सदैव तत्पर रहती हैं।

कैसे पहुंचे

रेल मार्ग से आने के लिए आप सीधे वाराणसी स्टेशन पर उतारने के बाद दुर्गा कुंड के लिए आपको टैक्सी एवं साधन आसानी से मिल जाते हैं। इस मंदिर पर आप रवींद्र पुरी मार्ग, भेलूपुर मार्ग एवं दुर्गकुण्ड के रास्ते पहुंच सकते हैं। यहां पहुंचने के लिए आपको हर तरफ से, साधन मिल जाते हैं।  

तुलसी मानस मन्दिर

Tulsi Manas Mandir, Varanasi
Tulsi Manas Mandir, Varanasi

तुलसी मानस मंदिर काशी के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहीं पर तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना की थी, अतः इसे तुलसी मानस मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के दीवारों पर रामचरितमानस के दोहे एवं चौपाइयां लिखी हुई है। मंदिर प्रांगण में श्री राम जानकी एवं लक्ष्मण जी की मूर्तियों के साथ-साथ हनुमान जी की प्रतिमा भी स्थित है। वहीं दूसरी तरफ माता अन्नपूर्णा, शिवजी एवं सत्यनारायण भगवान के मंदिर भी स्थित है।

पूर्व में यह मंदिर छोटा सा हुआ करता था। कोलकाता के एक व्यापारी सेठ रतनलाल सुरेका ने सन 1964 में तुलसी मानस मंदिर का भव्य निर्माण करवाया। इस मंदिर का उद्घाटन उसे समय के वर्तमान राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने किया था। 

कैसे पहुंचे

इस मंदिर पर जाने के लिए आपको हर तरफ से साधन उपलब्ध है। आप दुर्गाकुंड रोड से होते हुए सीधे इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं। यह मंदिर दुर्गाकुंड मंदिर से मात्र 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। 

भारत माता मन्दिर

Bharat Mata Mandir, Varanasi
Bharat Mata Mandir, Varanasi

वाराणसी में स्थित भारत माता मंदिर विश्व का सबसे प्राचीन भारत माता का मंदिर है। यह मंदिर देश की विरासत को दर्शाता है। जहां इस मंदिर प्रांगण में हमें देश का और विभाजित नक्शा देखने को मिलता है एवं यहां इसकी पूजा भी की जाती है। इस नक्शे में अफगानिस्तान, बलूचिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, बर्मा एवं श्रीलंका को भी दर्शाया गया है।

भारत माता का यह मंदिर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के परिसर में स्थित है। इस मंदिर का निर्माण सन  1918 से लेकर सन 1924 के बीच बाबू शिव प्रसाद गुप्ता द्वारा पूर्ण हुआ। इस मंदिर का उद्घाटन 25 अक्टूबर 1936 को महात्मा गांधी जी द्वारा किया गया।

कैसे पहुंचे

भारत माता मंदिर पहुंचना बहुत ही आसान है। आप एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन एवं सड़क मार्ग द्वारा सीधे इस मंदिर तक पहुंच सकते हैं। यह मंदिर महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय के परिसर में स्थित है। 

कर्दमेश्वर महादेव मंदिर

Kardmeshwar Mahadev Mandir, Varanasi
Kardmeshwar Mahadev Mandir, Varanasi

काशी में स्थित कर्दमेश्वर महादेव मंदिर काशी का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। हालांकि इस मंदिर पर उतनी भीड़ नहीं होती है। आर्कियोलॉजिकल डिपार्मेंट के अनुसार यह मंदिर 12वीं शताब्दी के आसपास बनाया गया था। हैरानी की बात तो यह है कि यह मंदिर कभी भी मुगल आक्रांताओं के दृष्टि में नहीं आया जिससे यह मंदिर आज तक वैसे ही स्थित है। मान्यताओं के अनुसार प्राचीन काल में कर्दम ऋषि ने यहीं पर इस प्राचीन शिवलिंग की स्थापना की थी जिस कारण इस मंदिर का नाम कर्दमेश्वर महादेव मंदिर पड़ा। इस मंदिर के पास ही एक कुण्ड भी स्थित है जिसका निर्माण बंगाल की रानी भवानी ने 18वीं शताब्दी में करवाया था। 

यह मंदिर काशी के पंचकोशी यात्रा का प्रथम पड़ाव है जहां से काशी की पंचकोशी यात्रा शुरू होती है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार जब प्रभु श्री राम ने रावण का वध किया था तो उन्हें ब्रह्म हत्या का पाप लगा था। इसके पश्चात प्रभु श्री राम ने अपने गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से काशी में पंचकोशी यात्रा पूर्ण की एवं इसी मंदिर में अपने परिवार जनों के साथ दर्शन पूजन किया। इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण चंदेल वंश अथवा गढ़वाल राजाओं ने करवाया था।

कैसे पहुंचे

यह मंदिर कन्द्वा में स्थित है एवं यहां पहुंचने के लिए आप एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन से सीधे टैक्सी अथवा अन्य साधनों से यहां सड़क मार्ग से पहुंच सकते हैं। हालांकि यहां आने के लिए आपको कर टैक्सी अथवा टेंपो को रिजर्व करना होगा।


इस पोस्ट में हमने आपको काशी के प्रसिद्ध मंदिरों के साथ-साथ काशी के प्राचीनतम मंदिरों के बारे में भी जानकारी दी है। काशी में और भी प्रसिद्ध मंदिर स्थित है जिनके बारे में एक पोस्ट में लिख पाना संभव नहीं है। यदि आप एक या दो दिन की यात्रा पर काशी आते हैं तो इन सभी मंदिरों पर आप आसानी से दर्शन कर सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप हमसे फेसबुक व्हाट्सएप एवं इंस्टाग्राम के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं।

आदि काशी - Aadi Kashi

Aadi Kashi आदि काशी के इस वेबसाइट पर आपका स्वागत है। इस वेबसाइट को काशी के अध्यात्मिक एवं प्राचीनता को समझने हेतु बनाया गया है। काशी यूं तो कई युगों पुराना है, परन्तु इसे समझना उतना ही जटिल है। बस इसी जटिलता को सरल बनाने के उद्देश्य से इस वेबसाइट को बनाया गया है।

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