मानसरोवर घाट, वाराणसी 

लेख - Yogi Deep

Last Updated on March 8, 2025 by Yogi Deep

काशी के घाटों में मानसरोवर घाट एक प्रमुख घाट है। इस घाट का निर्माण 16वीं शताब्दी में आमेर (राजस्थान) के राजा मानसिंह ने करवाया था। घाट पर स्थित मानसरोवर कुण्ड एवं घाट का अपना अलग ही एक इतिहास है। मान्यताओं के अनुसार इस घाट पर स्नान करने से हिमालय पर स्थित मानसरोवर झील में स्नान के समान पुण्य प्राप्त होता है। आईए जानते हैं घाट के ऐतिहासिक धार्मिक एवं वर्तमान स्वरूप के बारे में।

घाट का नाममानसरोवर घाट
क्षेत्रवाराणसी
निर्माण16वीं सदी
निर्माताराजा मानसिंह द्वारा
विशेषतामानसरोवर कुण्ड
दर्शनीय स्थलमानसरोवर कूप (आन्ध्राश्रम भवन में स्थित)

मानसरोवर घाट का इतिहास

मानसरोवर घाट का निर्माण आमेर (जयपुर, राजस्थान) राज्य के सूर्यवंशी राजा मानसिंह ने करवाया था। इसका प्रारंभिक उल्लेख गीर्वाणपदमंजरी 1 में मिलता है। यहां राजा मानसिंह ने घाट के साथ-साथ कुण्ड का भी निर्माण करवाया, जिसे मानसरोवर कुण्ड के नाम से जाना जाता है। इस घाट का निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था। यहां स्थित मानसरोवर कुण्ड के कारण आसपास बसे क्षेत्र को मानसरोवर मोहल्ले के नाम से जाना जाता है। समय के साथ-साथ 19वीं शताब्दी ईस्वी के प्रारंभ तक यह घाट पूर्णतः जीर्ण हो चुका था। इसके पश्चात घाट का पुनर्निर्माण सन 1958 ईस्वी में राज्य सरकार द्वारा किया गया। वर्तमान में यह घाट पक्का एवं स्वच्छ है।2

Mansarover Ghat, Varanasi - मानसरोवर घाट, वाराणसी
Mansarover Ghat, Varanasi – मानसरोवर घाट, वाराणसी

राजा मानसिंह 

राजा मानसिंह3 जयपुर, राजस्थान स्थित आमेर राज्य के राजा थे। वे अकबर की सेना के प्रधान सेनापति थे। राजा मानसिंह, राजा भगवंतदास जी के पुत्र थे। उनकी मृत्यु के पश्चात उनके दत्तक पुत्र मानसिंह जयपुर के सिंहासन पर विराजमान हुए। मुगल काल में राजा मानसिंह का स्थान अकबर के सेनापतियों में श्रेष्ठ था। राजा मानसिंह ने उड़ीसा, असम एवं काबुल जैसे राज्य को जीतकर उस समय के बादशाह अकबर के अधीन कर दिया था। 

राजा मानसिंह एवं महाराणा प्रताप के बीच हुए हल्दीघाटी युद्ध के बारे में हम सभी लोग जानते हैं। जहां महाराणा प्रताप ने अपने बीस-बाईस हजार सैनिकों के साथ मानसिंह के लाखों की मुगल सेना के साथ भयंकर युद्ध हुआ। सन् 1576 ई. के 21 जून को गोगून्दा के पास हल्दी घाटी में हुए इस भयंकर युद्ध में लगभग सत्रह हज़ार सैनिक मारे गए थे। युद्ध में जब महाराणा प्रताप एवं मानसिंह का आमना-सामना हुआ, तब हाथी पर बैठे हुए मानसिंह पर राणा प्रताप ने अपने भले से इतना जोरदार प्रहार किया कि उनका हौदा टेढ़ा हो गया, परंतु मानसिंह बच गए। वही युद्ध में महाराणा प्रताप बुरी तरह से घायल हो गए, तब उनके घोड़े चेतक ने उनकी जान बचाई। 

मानसरोवर कुण्ड

ऐसी मान्यता है कि काशी में स्थित मानसरोवर कुण्ड में स्नान करने पर हिमालय पर स्थित मानसरोवर झील में स्नान करने का पूर्ण प्राप्त होता है। काशी में स्थित मानसरोवर कुण्ड को इसी विचारधारा से बनवाया गया था कि, ऐसे श्रद्धालु जो हिमालय स्थित मानसरोवर नहीं जा सकते, वे काशी के मानसरोवर में स्नान करके हिमालय स्थित मानसरोवर स्नान का फल प्राप्त कर सकें। मानसरोवर घाट एवं कुण्ड के कारण आसपास के क्षेत्र को मानसरोवर मोहल्ला कहा जाने लगा। 

परंतु समय के साथ-साथ अंधाधुंध शहरीकरण, बढ़ती जनसंख्या एवं आसपास बन रहे आवासीय भवनों की वृद्धि के कारण धीरे-धीरे मानसरोवर कुण्ड पटता चला गया। अभी यह कुण्ड लुप्त हो चुका है, इस कुण्ड के ऊपर लोगों ने अपना मकान बनवा लिया है। वर्तमान में यह कुण्ड आन्ध्राश्रम भवन में एक कूप (कुआँ) के रूप में सुरक्षित है। वर्तमान में स्थान इत्यादि की परंपरा केवल घाट तक ही सीमित है।

वर्तमान में घाट

वर्तमान समय में मानसरोवर घाट अन्य घाटों की तरह साफ सुथरा एवं पक्की सीढियों से सुसज्जित है। अन्य घाटों की तुलना में यहां लोगों की भीड़ कम रहती है। यही कारण है कि यह घाट अन्य घाटों से अधिक शांत है। भोर में लोग यहां टहलने एवं ध्यान इत्यादि करने के लिए आते हैं। 


अतः मानसरोवर घाट काशी के प्रमुख ऐतिहासिक घाटों में से एक है। यह घाट धार्मिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यदि आप काशी की यात्रा कर रहे हैं तो इस घाट पर अवश्य आए।

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सन्दर्भ

  1. Indian Culture Govt. Of India ↩︎
  2. History of Varanasi 1206 to 1761 Sachindra Pandey ↩︎
  3. Raja Man Singh Of Amber by Prasad, Rajiv Nain ↩︎
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