कर्नाटक घाट, वाराणसी

लेख - Yogi Deep

Last Updated on January 29, 2025 by Yogi Deep

कर्नाटक घाट का इतिहास और स्वरूप इसकी सांस्कृतिक महत्ता को दर्शाता है। 20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक यह हनुमान घाट का ही हिस्सा था, लेकिन मैसूर राज्य के राजा के पुनर्निर्माण कार्यों के बाद इसे अलग पहचान मिली। प्राचीन हनुमान घाट का उत्तरी भाग ‘मैसूर घाट’ के नाम से विख्यात हुआ, जो बाद में कर्नाटक घाट बन गया। घाट के ऊपरी हिस्से में मैसूर स्टेट द्वारा निर्मित धर्मशाला और मंदिर स्थित हैं, जहां दक्षिण भारतीय तीर्थयात्रियों का प्रमुख निवास होता है। यह घाट इतिहास, धर्म और वास्तुकला का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।

घाट का नामकर्नाटक घाट
क्षेत्रवाराणसी
निर्माण20वीं सदी
निर्मातामैसूर राज्य के राजा
विशेषताधर्मशाला, मंदिर एवं सतियों के स्मारक
दर्शनीय स्थलमैसूर स्टेट द्वारा निर्मित धर्मशाला एवं मंदिर

कर्नाटक घाट का इतिहास

कर्नाटक घाट का इतिहास इसे वाराणसी के प्रमुख ऐतिहासिक घाटों में शामिल करता है। 20वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध तक यह हनुमान घाट का ही हिस्सा था, लेकिन मैसूर राज्य के राजा के पुनर्निर्माण के प्रयासों ने इसे एक अलग पहचान दी। प्राचीन हनुमान घाट का उत्तरी भाग ‘मैसूर घाट’ के रूप में जाना गया, जो कालांतर में कर्नाटक घाट बन गया। 

Karnatak Ghat - कर्नाटक घाट
Karnatak Ghat – कर्नाटक घाट

घाट के ऊपरी हिस्से में मैसूर स्टेट द्वारा निर्मित धर्मशाला और मंदिर स्थित हैं, जहां दक्षिण भारतीय तीर्थयात्री प्रमुख रूप से निवास करते हैं। घाट पर गंगा तट से लेकर गलियों तक पक्की सीढ़ियां बनी हैं, जो इसे हनुमान घाट और हरिश्चंद्र घाट से अलग करती हैं। इसके अलावा, यहां सतियों के स्मारक और दक्षिण भारतीय संस्कृति का प्रभाव इसे और भी विशिष्ट बनाते हैं।

घाट की विशेषता

  • कर्नाटक घाट का पुनर्निर्माण मैसूर राज्य के राजा नें करवाया था।
  • इस घाट का प्राचीन नाम मैसूर घाट था।
  • घाट के ऊपरी भाग में मैसूर स्टेट द्वारा निर्मित धर्मशाला एवं मंदिर हैं।
  • घाट के उत्तरी भाग में हरिश्चन्द्र (श्मशान) घाट पड़ता है।
  • इस घाट पर सतियों के भी कई स्मारक स्थित हैं।
  • इस घाट पर स्नान करने वालों में दक्षिण भारतीयों की संख्या अधिक होती है।

वर्तमान में कर्नाटक घाट

वर्तमान में घाट के दक्षिणी भाग में गंगातट से गली तक पक्की सीढ़ियाँ बनी हुयी हैं। घाट पहले की अपेक्षा अधिक स्वक्ष है। वैसे तो इस घाट पर दिन भर चहल-पहल रहती है लेकिन प्रातः एवं संध्या के समय यहाँ स्थानीय लोग एवं पर्यटकों की भीड़ अधिक रहती है।

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