Last Updated on December 22, 2024 by Yogi Deep
काशी में सभी धर्मों और संप्रदायों का संगम देखा जा सकता है। काशी में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं का अद्वितीय मिलन देखने को मिलता है, जहां हर पंथ और संप्रदाय को अपने धर्म का पालन करने की पूरी स्वतंत्रता प्राप्त है। काशी में स्थित जैन घाट भी इसी एकता एवं अद्वितीय धर्मिक समरसता का प्रतीक है।
जैन घाट
जैन घाट, जो पूर्व में वच्छराज घाट का ही एक भाग हुआ करता था, वर्तमान में यह वाराणसी के प्रसिद्ध घाटों में से एक है। यह घाट काशी की हलचल और भीड़-भाड़ से थोड़ी दूर पर स्थित है, जिससे यहाँ आकर आध्यात्मिक शांति की खोज करने वाले जैन धर्मावलंबियों को विशेष सुकून मिलता है। यह घाट वच्छराज घाट के सामान ही स्वच्छ है और यह अपने विशिष्ट धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। जैन घाट का दक्षिणी भाग विशेष रूप से स्वच्छ और शांतिपूर्ण है, जहाँ पर जैन धर्मावलंबी विशेष रूप से स्नान-ध्यान व् दर्शन करने आते हैं।
जैन घाट का इतिहास
प्रारंभ में यह घाट कच्चा था और वच्छराज घाट का एक हिस्सा हुआ करता था, बाद में जैन सम्प्रदाय के अनुयायियों ने इस घाट का पक्का निर्माण कराया और इसे जैन घाट के रूप में स्थापित किया। समय के साथ घाट का पुनर्निर्माण हुआ और वर्तमान समय में यह घाट विशेष रूप से जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल बन चुका है।
1931 से पहले, इस घाट को कच्चे रास्तों और असुविधाओं का सामना करना पड़ा था एवं विशिष्ट रखरखाव न होने के कारण यह घाट जीर्ण हो गया था, तब घाट के पुनर्निर्माण के लिए 1988 में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने कार्य किया था, जिसके बाद यह घाट और भी आकर्षक और सुसज्जित हो गया। इस घाट का दक्षिणी भाग विशेष रूप से स्वच्छ और साफ-सुथरा रखा गया है, जहां जैन सम्प्रदाय के अनुयायी स्नान करते हैं।
आरा (बिहार) के प्रसिद्ध “देवाश्रय” परिवार के राजर्षि बाबू देव कुमार जी जैन (बावू प्रभुदास जी के पौत्र) ने वाराणसी के गंगा तट पर भगवान सुपार्श्वनाथ के जन्मकल्याणकस्थलि पर निर्मित अपनी इस विशाल पुश्तैनी हवेली को सन्-1905 में जैनागम के प्रचार-प्रसार एवं शिक्षा हेतु श्री स्याद्वाद महाविद्यालय को दान कर दिया था।
ऐतिहासिक मान्यतानुसार ७वें तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ के जन्मस्थली पर निर्मित इस जिनालय में दर्शन पूजन के पश्चात २३वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ने यहीं गंगा किनारे तापस मुनि द्वारा किए जा रहे यज्ञ में जल रहे नाग नागिन (धरणेंद्र-पद्मावती) को अभय दान दिया था। वर्तमान में इसी स्थल पर भगवान पार्श्वनाथ के चरण विराजमान है।
सुपार्श्वनाथ मंदिर
जैन घाट पर स्थित सुपार्श्वनाथ मंदिर 1885 ईस्वी में स्थापित हुआ था। यह मंदिर जैन सम्प्रदाय के दिगम्बर पंथ के प्रसिद्ध तीर्थंकर सुपार्श्वनाथ को समर्पित है। गंगा के किनारे स्थित यह स्थान एक ऐतिहासिक स्थल है, जहाँ पर जैन धर्म के अनुयायी अपने धार्मिक कर्म-काण्ड के लिए यहाँ आते हैं। भगवान सुपार्श्वनाथ के जन्मस्थल और पार्श्वनाथ के चरण की उपस्थिति इसे और भी पवित्र बनाती है। जैन सम्प्रदाय के अनुयायी यहां आकर दर्शन-पूजन इत्यादि करते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं।
घाट की विशेषताएँ
- शांति और एकांत: काशी के अन्य घाटों की अपेक्षा जैन घाट एक शांतिपूर्ण स्थान है, जो आध्यात्मिक शांति की तलाश करने वाले भक्तों के लिए आदर्श है।
- सुपार्श्वनाथ मंदिर: जैन घाट पर स्थित सुपार्श्वनाथ मंदिर अथवा दिगम्बर मंदिर जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख स्थल है। यह मंदिर विशेष रूप से जैन धर्म की महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है।
- प्रशासनिक आदेश: घाट पर स्थित जिलाधिकारी (1904 ई.) का आदेश पट्ट जैन घाट पर मछली न पकड़ने के संबंध में जारी किया गया था, जो इस स्थल की धार्मिक महत्व और संरक्षण की ओर इशारा करता है।
- आधुनिक सुविधाएँ: 1988 में घाट के पुनर्निर्माण के पश्चात यहाँ पर बेहतर रोशनी और स्वच्छता की सुविधाएँ प्रदान की गई हैं, जिससे यहाँ आने वाले भक्तों को और भी बेहतर अनुभव मिलता है।
जैन घाट की आध्यात्मिक और धार्मिक महत्ता
काशी का जैन घाट न केवल एक तीर्थ स्थल है, बल्कि यह हिन्दू और जैन धर्म के बीच के सुदृढ़ संबंधों का प्रतीक भी है। काशी में विभिन्न धर्मों की समरसता देखने को मिलता है, और जैन घाट इसकी जिवंत मिसाल है। यहाँ आने वाले लोग अपनी धार्मिक आस्थाओं के साथ-साथ इस घाट के शांतिपूर्ण वातावरण में आत्मिक शांति का अनुभव करते हैं।
यहाँ पर जैन धर्मावलम्बी धार्मिक अनुष्ठान, स्नान और पूजा अर्चना इत्यादि करते है। घाट की स्थिति, स्वच्छता और धार्मिक संरचनाओं का सुधार भविष्य में इस घाट को और भी महत्वपूर्ण बना देगा। इसके साथ ही, काशी में जैन समुदाय की बढ़ती धार्मिक गतिविधियो और पर्यटन स्थलों के विकास के साथ यह घाट एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र बिंदु बनेगा।
जैन घाट न केवल जैन धर्म के अनुयायियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए आदर्श स्थल है, जो शांति, संतुलन और आध्यात्मिक उन्नति की तलाश में है। काशी में स्थित इस घाट का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व निरंतर बढ़ता जा रहा है। जैन घाट के बारे में अधिक जानकारी के लिए आप विशेष रूप से यहाँ की धार्मिक गतिविधियों, संरचनाओं और ऐतिहासिक महत्व को जानने के लिए इस स्थल की यात्रा कर सकते हैं।