Last Updated on May 8, 2025 by Yogi Deep
दिग्पतिया घाट, वाराणसी के गंगा तट पर स्थित एक शांत और ऐतिहासिक घाट है, जिसका निर्माण 18वीं शताब्दी के अंतिम चरण में पूर्वी बंगाल के राजा दिग्पतिया ने करवाया था।
घाट का नाम | दिग्पतिया घाट |
क्षेत्र | वाराणसी |
निर्माण | 18वीं शताब्दी |
निर्माता | राजा दिग्पतिया द्वारा निर्मित |
विशेषता | विशाल महल |
दर्शनीय स्थल | काशी आश्रम |
दिग्पतिया घाट
वाराणसी के गंगा तट पर स्थित दिग्पतिया घाट उन घाटों में शामिल है जो अपनी ऐतिहासिक भव्यता और अनूठी स्थापत्यकला के कारण विशेष पहचान रखते हैं। इस घाट पर बंगाली वास्तुशिल्प देखने को मिलता है, साथ ही यह काशी में बंगाल के सांस्कृतिक प्रभाव को भी जीवंत करती है।
इस घाट का निर्माण 18वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पूर्वी बंगाल के राजा दिग्पतिया द्वारा कराया गया था। यह वही कालखण्ड था जब काशी में कई बाहरी शासकों, सेठों और राजघरानों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और स्थापत्य के ज़रिए अपनी छाप छोड़ी।

इतिहास और निर्माण
प्रारंभिक काल में यह घाट, उत्तर दिशा में स्थित चौसट्टी घाट का ही एक हिस्सा था। इसी कारण से प्रसिद्ध इतिहासकारों जैसे कि प्रिन्सेप, शेरिंग, ग्रीब्ज और मोतीचन्द्र ने इसका स्वतंत्र रूप से वर्णन नहीं किया। परंतु समय के साथ इसका दक्षिणी भाग दिग्पतिया घाट कहलाने लगा।
यह घाट मजबूत ईंट और पत्थर से बना हुआ है, इसके साथ ही यहाँ एक दुर्ग भी स्थित है। वर्तमान में यह इमारत काशी आश्रम के रूप में जानी जाती है।
घाट पर स्थित दुर्ग
घाट पर स्थित दुर्ग जैसा विशाल महल बंगाली स्थापत्य कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। महल के दोनों किनारों पर बनीं अष्टपहल बुर्जियाँ (ऑक्टागोनल टावर्स) इसकी भव्यता में चार चाँद लगाती हैं। वर्तमान में यह महल “काशी आश्रम” के नाम से प्रसिद्ध है, जहाँ साधना और ध्यान के लिए लोग आते हैं।
आवागमन और पुनर्निर्माण
गंगा के तट से इस महल तक पक्की सीढ़ियाँ बनाई गई हैं, जो आगंतुकों को घाट से महल तक सुगमता से पहुँचने में मदद करती हैं। इस घाट का पुनर्निर्माण वर्ष 1965 में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कराया गया, जिससे इसकी संरचना और भी सुदृढ़ हुई।
धार्मिक व सांस्कृतिक महत्व
हालाँकि दिग्पतिया घाट का कोई विशेष धार्मिक या सांस्कृतिक महत्व नहीं माना जाता, फिर भी यह घाट स्थानीय निवासियों के लिए स्नान और दैनिक क्रियाओं का एक महत्वपूर्ण स्थल है। घाट की शांति और स्वच्छता इसे विशेष बनाती है।