तुलसी घाट वाराणसी

By Yogi Deep

Last Updated on December 14, 2024 by Yogi Deep

तुलसी घाट, जहाँ रामचरितमानस जैसे दिव्य ग्रन्थ की रचना हुई थी। हां यह वही प्रसिद्ध घाट है जहां तुलसीदास जी जैसे संत एवं कवि निवास किया करते थे। भारत के प्राचीन और पवित्र काशी नगरी में स्थित Tulsi Ghat न केवल धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वाराणसी की सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक भी है। गंगा नदी के तट पर स्थित यह घाट वाराणसी के प्रमुख घाटों में से एक है।

घाट का नामतुलसी घाट
निर्माण18वीं सताब्दी
क्षेत्रवाराणसी
निर्माताबाला जी पेशवा
पुनर्निर्माणबलदेव दास बिड़ला (1941)
विशेषतागोस्वामी तुलसीदास, लोलार्क कुण्ड, गंगा आरती
दर्शनीय स्थलअखाड़ा गोस्वामी तुलसीदास, हनुमान मंदिर

इतिहास

तुलसी घाट का नाम महान कवि और संत गोस्वामी तुलसीदास के नाम पर पड़ा है। इस घाट को पहले ‘लोलार्क घाट’ के नाम से जाना जाता था। 16वीं शताब्दी में, तुलसीदास जी वाराणसी में रहते थे और कहा जाता है कि उन्होंने इस घाट पर बैठकर रामचरितमानस की रचना की थी। वाराणसी के प्रमुख घाटों में से एक, तुलसी घाट का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व अन्य घाटों की तुलना में अधिक है। तुलसीदास जी को जब श्री हनुमान जी ने दर्शन दिए, उसके पश्चात् तुलसीदास जी नें संकटमोचन हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित की, एवं प्रतिदिन इसी घाट पर प्रातः स्नान करने के पश्चात वे संकट मोचन हनुमान जी की पूजा अर्चना करने के लिए जाया करते थे।

तुलसी घाट, वाराणसी
तुलसी घाट, वाराणसी

इस घाट को अट्ठाहरवीं शताब्दी में बाला जी पेशवा नें बनवाया गया था। उन्होंने यहाँ पक्के घाट का निर्माण करवाया, उससे से पहले यह घाट अस्सी घाट का ही एक भाग हुआ करता था। समय के साथ धीरे-धीरे यह घाट जर्जर हो चुका था। 1941 में प्रसिद्ध उद्योगपति बलदेव दास बिड़ला ने पुनः तुलसी घाट का जीर्णोद्धार करवाया। 

धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व

धार्मिक दृष्टिकोण से भी तुलसी घाट अत्यंत प्रसिद्ध है। यहाँ प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं, जो गंगा नदी में स्नान करके अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं। इस घाट पर रामनवमी, कृष्ण लीला नाग नथैया लीला एवं कुंभ मेले के दौरान विशेष भीड़ रहती है। ऐसा माना जाता है कि इस घाट पर स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Nag Nathaiya Leela at Tulsi Ghat, Varanasi
Nag Nathaiya Leela at Tulsi Ghat, Varanasi

यहाँ प्रतिदिन गंगा आरती होती है। इसके आलावा यहाँ विशेष अवसरों पर रामचरित मानस पाठ का आयोजन भी करवाया जाता है।

लोलार्क कुण्ड 

यही पास में ही लोलार्क कुण्ड भी स्थित है, यह कुण्ड भगवान सूर्य देव को समर्पित है। प्रतिवर्ष भाद्रपद के सूर्य षष्ठी के दिन हजारों की संख्या में नि:संतान दंपती इस कुण्ड में डुबकी लगाने आते हैं। जिसकी मान्यता यह है कि यदि इस कुंड में नि:संतान स्त्रियां स्नान करें तो उन्हें संतान की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस कुंड में स्नान करने से कुष्ठ एवं चर्म रोगों का भी निवारण होता है। १ 

सांस्कृतिक धरोहर

तुलसी घाट केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी महत्वपूर्ण है। यहां पर हर साल रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसमें रामायण की कहानियों का प्रदर्शन होता है। यह आयोजन न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। तुलसी घाट पर आयोजित होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम और मेले यहां की स्थानीय संस्कृति को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
तुलसी घाट पर नाग नथैया लीला और धुपद संगीत मेला जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होते हैं, जो काशी की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखते हैं।

पर्यटन स्थल

तुलसी घाट का शांतिपूर्ण वातावरण एवं गंगा नदी का किनारा वाराणसी आने वाले पर्यटकों के लिए एक विशेष आकर्षण का केंद्र है। यहां आने वाले पर्यटकों को एक विशेष प्रकार की अनुभूति होती है। कुछ पर्यटक यहां धार्मिक अनुभवों को प्राप्त करने हेतु आते हैं एवं कुछ यहां की शांतिपूर्ण वातावरण का अनुभव करने आते हैं। अतः तुलसी घाट धार्मिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक इन तीनों विशेषताओं के लिए विख्यात है। 

तुलसी घाट के पास ही स्थित तुलसी मंदिर भी है, जो यहां श्रद्धालुओं के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र भी है। इसके अतिरिक्त तुलसी घाट के आसपास अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट एवं हरिश्चंद्र घाट जैसे कई अन्य प्रसिद्ध घाट भी स्थित हैं। इसके आलावा इसके आस पास गंगा महल घाट (प्रथम) एवं रीवा घाट भी स्थित है।

अतः तुलसी घाट वाराणसी के प्रमुख घाटों में से एक है, यह घाट वाराणसी के धार्मिक सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक साहित्य का प्रतीक भी है। यदि आप कभी काशी की यात्रा पर आए तो एक बार इस घाट पर बैठकर शांति तथा आध्यात्मिकता का अनुभव अवश्य करिएगा।


यह लेख वाराणसी के तुलसी घाट के ऐतिहासिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है। यदि आपको यह जानकारी महत्वपूर्ण लगी हो, तो कृपया इसे अपने मित्रों और परिवार के साथ साझा करें और वाराणसी की इस अनमोल धरोहर का अनुभव अवश्य करें।

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