संकट मोचन मंदिर, वाराणसी

By Yogi Deep

Last Updated on December 14, 2024 by Yogi Deep

संपूर्ण भारत में श्री हनुमान जी के अनेकों मंदिर स्थित है परंतु उन सभी मंदिरों में वाराणसी का संकट मोचन हनुमान मंदिर बहुत प्रसिद्ध माना जाता है। इस मंदिर के प्रसिद्ध होने के वैसे तो अनेकों कारण है परंतु इस मंदिर का श्री तुलसीदास जी से सीधा संबंध होने के कारण यह प्राचीन मंदिर और भी प्रसिद्ध हो जाता है।

नामश्री संकट मोचन हनुमान जी
सम्बन्धवानर, रुद्र अवतार, श्री राम जी के भक्त
मंत्रॐ श्री हनुमते नमः
दिवसमंगलवार और शनिवार
अस्त्रगदा , वज्र और ध्वजा
सवारीवायु

संकट मोचन हनुमान मंदिर, काशी

संकट मोचन हनुमान मंदिर भगवान श्री हनुमान जी को समर्पित है। यह वाराणसी के मुख्य प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में स्थित है। वाराणसी में स्थित भगवान हनुमान जी का यह मंदिर लगभग 35,000 वर्ग मीटर में फैला हुआ है। हनुमान जी के इस मंदिर को इस प्रकार से बनाया गया है कि हनुमान जी के मूर्ति के ठीक सामने प्रभु श्री राम, माता सीता एवं श्री लक्ष्मण जी की मूर्तियां यहाँ स्थापित है। संकट मोचन मंदिर प्रांगण के अंदर ही एक शिवलिंग भी स्थापित है। वहीं हनुमान जी की मूर्ति के ठीक सामने एक प्राचीन कूप भी है। ऐसा माना जाता है कि यह कूप तुलसीदास जी के समय का है।

Sankat Mochan Hanuman ji Varanasi
(संकट मोचन हनुमान जी)

संकट मोचन मंदिर (Sankat Mochan Mandir) में स्थित हनुमान जी की मूर्ति सदैव तुलसी एवं गेंदे की माला से सुशोभित रहती है। यहां पर आए श्रद्धालु भी हनुमान जी को तुलसी एवं शुद्ध देशी घी के लड्डू चढ़ाते हैं। मंदिर में प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को भजन कीर्तन भी होता है। जिसे सुनने के बाद हर कोई भाव विभोर हो जाता है। संकट मोचन मंदिर “जय श्री राम” एवं “ॐ नमः पार्वती पतये, हर-हर महादेव” के जयकारों से हमेशा गूंजता रहता है।

मंदिर प्रांगण के अंदर ही ढेर सारे वृक्ष लगे हुए हैं। यहां मंदिर के अंदर स्वच्छता का भी ख्याल रखा जाता है। मंदिर प्रांगण के अंदर किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस अथवा उपकरण ले जाने की मनाई है। इन्हें जमा करने के लिए लाकर की मुफ्त सुविधा उपलब्ध है।

मंदिर की स्थापना

संकट मोचन मंदिर की स्थापना श्री तुलसीदास जी ने लगभग सन 1630 से 1680 के मध्य की थी, तुलसीदास जी प्रभु श्री राम के बहुत बड़े भक्त थे। जब कवि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस की रचना शुरू की, तब उन्हें हनुमान जी ने आकर प्रेरणा दी जिसके पश्चात तुलसीदास जी ने हनुमान जी की मिट्टी की मूर्ति बनाकर उनकी आराधना शुरू कर दी। इसके पश्चात उन्होंने संपूर्ण रामचरितमानस की रचना पूर्ण की। वर्तमान मंदिर की स्थापना काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक श्री महामना मदन मोहन मालवीय जी के द्वारा सन 1900 ईस्वी में हुई थी। 

मंदिर परिसर

साढ़े आठ एकड़ भूमि पर स्थित यह सङ्कट मोचन मंदिर हरे भरे वृक्षों से घिरा हुआ है। यह मंदिर दुर्गाकुंड से लंका जाने वाले मार्ग पर स्थित है। इसी मार्ग पर इस मंदिर का विशाल मुख्य द्वार भी है, इसके अलावा मंदिर के अंदर जाने के लिए पूर्व की तरफ भी एक द्वारा स्थित है। मंदिर परिसर के अंदर हनुमान जी की जागृत मूर्ति स्थापित है। हनुमान जी की मूर्ति के ठीक ऊपर श्री गणेश भगवान की मूर्ति स्थित है। मूर्ति के दाहिने तरफ एक छोटा सा शिवलिंग भी स्थापित है।

संकट मोचन हनुमान मंदिर मुख्य द्वार
संकट मोचन हनुमान मंदिर मुख्य द्वार

संकट मोचन हनुमान जी की मूर्ति के ठीक सामने भी एक मंदिर है जिसमें प्रभु श्री राम, लक्ष्मण एवं माता सीता विराजमान है। इन दोनों के मध्य एक कुआं भी है, जिसका मीठा जल लोग प्रसाद के रूप में पीते हैं। मंदिर परिसर के अंदर ही एक अतिथि गृह भी है, जहां मंदिर में होने वाले सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक कार्यक्रमों के दौरान आए हुए अतिथि विश्राम करते हैं।

मंदिर के ठीक पीछे हवन कुण्ड है जहां श्रद्धालु हवन इत्यादि कार्यक्रम करते हैं। पहले मंदिर में बंदरों की संख्या बहुतायत थी परंतु वर्तमान में आपको बहुत कम ही बंदर दिखेंगे। इसके साथ ही मंदिर के अंदर मोबाइल, जूता, चप्पल इत्यादि रखने की निशुल्क व्यवस्था भी की गई है। 

कैसे पड़ा संकट मोचन नाम?

जब भी तुलसीदास जी को किसी भी प्रकार का संकट होता था वे हनुमान जी का ध्यान करते थे और हनुमान जी उन्हें हर प्रकार के संकटों से मुक्ति प्रदान करते थे। जब तुलसीदास जी ने हनुमान जी के मूर्ति की स्थापना की, तब से इन्हें सङ्कट मोचन हनुमान जी के नाम से जाना जाने लगा। क्योंकि संकट मोचन प्रभु केवल तुलसीदास जी के ही नहीं अपितु अपने प्रत्येक दर्शन करने वाले भक्तों का संकट हर लेते हैं। अतः इन्हें सङ्कट मोचन हनुमान जी के नाम से पुकारा जाता है।

कब-कब लगती है भीड़

वैसे तो यहां वर्ष भर भक्तों का ताता लगा रहता है, परंतु विशेष कर मंगलवार एवं शनिवार को यहां पर सबसे अधिक भीड़ लगती है। मंगलवार को लोग प्रभु हनुमान जी का दिन मानते हैं अतः इस दिन आम दिनों की तुलना में अधिक भीड़ रहती है। वहीं ऐसी मान्यता है कि शनिवार के दिन यदि कोई भी व्यक्ति संकट मोचन हनुमान जी के दर्शन करता है तो उसे पर शनि देव की कू-दृष्टि नहीं पड़ती है। जिनकी कुंडली में शनि दोष है उन लोगों को प्रत्येक शनिवार संकट मोचन हनुमान जी के दर्शन अवश्य करना चाहिए। 

यहां हनुमान जन्मोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। यहां 5 दिनों तक सांस्कृतिक संगीत कार्यक्रम का आयोजन होता है, उसे समय यहां आम दिनों की तुलना में काफी भीड़ लगती है। अंत में यहां दो दिन का भजन सम्मेलन भी होता है। 

श्री संकट मोचन संगीत समारोह

श्री हनुमान जन्मोत्सव के दिन मंदिर में पंचदिवसीय संगीत का सांस्कृतिक समारोह आरंभ होता है। यह संकट मोचन संगीत समारोह कार्यक्रम पूर्ण रूप से शास्त्रीय संगीत पर आधारित होता है। इस मौके पर अन्य धर्मावलंबी कलाकारों को भी निमंत्रित किया जाता है, जो भारतीय “वसुधैव कुटुंबकम” दृष्टिकोण को दर्शाती है। 

संकट मोचन संगीत समारोह में उस्ताद अमजद अली खान एवं पंडित विजय घाटे
संकट मोचन संगीत समारोह में उस्ताद अमजद अली खान एवं पंडित विजय घाटे

गायन वादन एवं नृत्य के अपने-अपने विधाओं में पारंगत कलाकार यहां हनुमान जी को अपनी उपस्थिति देते हैं। जिनमें कुछ प्रसिद्ध नाम है पंडित राजन साजन मिश्र, पंडित जसराज, पंडित छन्नूलाल मिश्र, साध्वी सुनंदा पटनायक, कंकणा बनर्जी, अजय चक्रवर्ती, देवाशीष डे जैसे कलाकारों के साथ-साथ पाकिस्तान के विश्व प्रसिद्ध गजल गायक गुलाम अली साहब जैसे कलाकार भी श्री हनुमान जी को अपनी उपस्थिति देते हैं। हर वर्ष यहाँ इस कार्यक्रम में काफी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। 

मंदिर खुलने एवं दर्शन करने का समय 

मंदिर प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में खुलता है, श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के पट 4:00 बजे भोर में खुल जाते हैं। मंदिर खुलने के पश्चात ही श्री हनुमान चालीसा पाठ के साथ आरती शुरू हो जाती है। वहीँ संध्या आरती रात्रि 9:00 बजे संपन्न होती है। आरती के दौरान पूरा मंदिर परिसर हनुमान चालीसा पाठ से गूंज उठता है। दिन के समय 12:00 बजे से लेकर 3:00 तक मंदिर का कपाट बंद रहता है। जहाँ अन्य दिन मंदिर 10:30 बजे तक बंद हो जाता है, वहीँ मंगलवार एवं शनिवार को मंदिर आधी रात 12:00 बजे तक खुला रहता है।  

दर्शनार्थियों के लिए विशेष सूचना

श्री संकटमोचन मंदिर में किसी भी प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ले जाने की अनुमति नहीं है। जैसे की मोबाइल, कैमरा इत्यादि। इसके आलावा मंदिर परिसर में चमड़े की बेल्ट, पर्स, प्लास्टिक बैग, बड़े बैग, सूटकेस, मांस-मदिरा, धुम्रपान, बाहर का खाना इत्यादि।
इन सब को रखने के लिए मंदिर परिसर गेट के पास ही आपको नि:शुल्क लॉकर की सुविधा मिलती है। जहाँ आप अपने सामन को सुरक्षित रख सकते हैं।

2006 में हुई आतंकवादी घटना 

वाराणसी में 7 मार्च 2006 को तीन जगह पर आतंकवादी हमले हुए थे, जिनमें से एक विस्फोट मंदिर परिसर में हुआ था। मंदिर में हुए इस घटना के बावजूद भी यहां दर्शनार्थियों की संख्या कम नहीं हुई। घटना के ठीक दूसरे दिन ही मंदिर में रोज जैसा ही भीड़ था। इसके साथ ही यहाँ एक और रोचक घटना हुई। जिस समय मंदिर में विस्फोट हुआ उससे कुछ घंटे पहले ही मंदिर परिसर में रहने वाले सभी बन्दर वहां से चले गए थे।

कैसे पहुंचे संकट मोचन मंदिर

वाराणसी में स्थित संकट मोचन मंदिर आप वायु एवं रेल मार्गों से पहुंच सकते हैं। वायु मार्ग से आप सीधे बाबतपुर उतरेंगे वहां से आपको सीधे मंदिर के लिए कार, टैक्सी एवं ऑटो रिक्शा जैसे सभी प्रकार के सवारी गाड़ियां मिल जाएगी।

वहीं रेल मार्ग से संकट मोचन मंदिर पहुंचने के लिए आप सीधे कैंट अथवा वाराणसी स्टेशन पर उतर सकते हैं। वहां से आपको मंदिर पहुंचने हेतु हर प्रकार की सवारी गाड़ियां मिल जाएँगी। 

मंदिर परिसर में जाने के लिए दो द्वार हैं। प्रथम मुख्य द्वारा दुर्गा कुंड लंका मार्ग पर स्थित है एवं दूसरा द्वार काशी हिंदू विश्वविद्यालय के तरफ से आने वाले गलियों से होकर गुजरता है।

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