Last Updated on December 14, 2024 by Yogi Deep
महागौरी माता मन्दिर वाराणसी के प्रमुख नव दुर्गा मन्दिरों में से एक है। यह मंदिर देवी महागौरी को समर्पित है, जो नवदुर्गा के आठवें रूप के रूप में पूजी जाती हैं। नवरात्री के अष्टम दिवस माता महागौरी के दर्शन पूजन का विशेष महत्व है। काशी के इस देवी मन्दिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व अत्यधिक है, एवं यह श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख आस्था का केंद्र है।
नवदुर्गा | महागौरी देवी |
स्वरुप | अष्टम स्वरुप |
संबंध | (माता आदिशक्ति का अष्टम रूप) हिन्दू देवी |
मंत्र | श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव-प्रमोद-दा॥ |
अस्त्र | त्रिशूल एवं डमरू |
सवारी | वृषभ |
महागौरी माता मन्दिर, वाराणसी
पौराणिक कथा के अनुसार, महागौरी माता ने शिव जी को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की, एवं भगवान शिव को प्रसन्न किया और उनसे विवाह किया। उनके तप की वजह से उनका शरीर काला हो गया था, लेकिन जब भगवान शिव ने उन्हें गंगाजल से स्नान कराया, तो वे गौरी अर्थात् सफेद हो गईं। इस कारण उन्हें महागौरी के नाम से जाना गया। माता महागौरी रूप में करूणामयी, मृदुल, स्नेहमयी एवं शांत दिखती हैं। महागौरी देवी को शाकंभरी देवी के नाम से भी जाना जाता है।
मंत्र
महागौरी माता की पूजा में निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण किया जाता है:
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
स्वरूप
महागौरी माता का स्वरूप अत्यंत श्वेत वर्ण है। माता श्वेत वस्त्र एवं श्वेत आभूषण धारण करती हैं। माता का स्वरुप अत्यंत गौर होने के कारण इन्हें महागौरी देवी के नाम से जाना जाता है। माता की चार भुजाएं हैं। उनके एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में डमरू है, जबकि उनके अन्य दो हाथ वर और अभय मुद्रा में होते हैं। माता का वाहन वृषभ है। माता की सरलता, सौम्यता एवं कोमलता के कारण इनकी उपमा चन्द्र एवं कुंद्र पुष्प के सामान बताया गया है।
दर्शन का महत्व
वैसे तो वाराणसी के महागौरी देवी मंदिर में वर्ष भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है, परन्तु विशेषकर नवरात्रि के दौरान यहाँ भक्तों का तांता लगा रहता है। श्रद्धालु यहाँ आकर देवी महागौरी के दर्शन करते हैं और उनसे अपने जीवन की समस्याओं का समाधान मांगते हैं।
काशी में स्थित महागौरी माता के दर्शन मात्र से सभी पापों का नाश होता है एवं व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से महागौरी माता की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। केवल महागौरी देवी के पूजन मात्र से हमें माता दुर्गा के नव रूपों के दर्शन का फल प्राप्त होता है। माता के दर्शन-पूजन के पश्चात परिक्रमा करने से मां अन्नपूर्णा भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करती हैं।
दर्शन का समय
मंगलाआरती के बाद भक्तों के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं। भोर में माता भगवती को पंचामृत स्नान कराया जाता है। महागौरी माता मंदिर में दर्शन का समय सुबह 5 बजे से शाम 10 बजे तक होता है। विशेष अवसरों और त्योहारों पर यह समय बढ़ सकता है।
प्रत्येक वर्ष यहाँ धनतेरस के समय अर्थात दीपावली अमावस्या से पहले की त्रयोदशी से लेकर अमावस्या के एक दिन बाद तक (कुल चार दिन), दक्षिण भारतीय भक्तों का यहाँ ताँता लगा रहता है। भक्त यहाँ गंगा स्नान एवं बाबा विश्वनाथ के दर्शन के साथ माता अन्नपूर्णा के दर्शन हेतु आते हैं।
कैसे पहुंचे
महागौरी देवी मंदिर वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर परिसर में D-9/1, अन्नपूर्ण मंदिर में स्थित है, जो वाराणसी रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर है। यहाँ तक पहुँचने के लिए स्थानीय परिवहन के साधनों का उपयोग किया जा सकता है, जैसे ऑटो रिक्शा, टैक्सी आदि। महागौरी माता मंदिर, वाराणसी पहुंचने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं:
- वायु मार्ग: वाराणसी हवाई अड्डा निकटतम हवाई अड्डा है।
- रेल मार्ग: वाराणसी जंक्शन निकटतम रेलवे स्टेशन है।
- सड़क मार्ग: वाराणसी शहर देश के प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
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