Last Updated on August 5, 2025 by Yogi Deep
ललिता घाट, काशी में स्थित एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो भक्तों और पर्यटकों के लिए एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है। यह घाट मीर घाट एवं जलशायी घाट के मध्य में स्थित है। घाट की तरफ जाने वाली गली मार्ग में ललिता देवी का मंदिर है। ललिता देवी को काशी के नवगौरियों में विशेष स्थान प्राप्त है और यह घाट स्थित गंगा को ललिता तीर्थ माना जाता है, इसी कारण इसका नाम ललिता घाट पड़ा।
घाट का नाम | ललिता घाट |
क्षेत्र | वाराणसी |
निर्माण | उन्नीसवीं शताब्दी ई० |
निर्माता | नेपाल नरेश |
विशेषता | ललिता तीर्थ |
दर्शनीय स्थल | ललिता देवी, समराजेश्वर शिव, राजराजेश्वरी, और गंगादित्य (सूर्य) मंदिर |
घाट का इतिहास
ललिता घाट का इतिहास उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य का है, जब नेपाल नरेश ने घाट का पक्का निर्माण करवाया था। काशी के घाटों में इस घाट का अपना एक अलग ही महत्त्व है। 20वीं शती ई. के प्रारम्भ तक यह घाट तीन भागों में विभक्त था जिसे क्रमशः (दक्षिण से) नेपाली घाट, ललिता घाट एवं राजराजेश्वरी घाट के नाम से जाना जाता था।

राजराजेश्वरी घाट का निर्माण 19वीं शती ई. के प्रारम्भ में सिद्धगिरि ने कराया था। मोतीचन्द्र (1931 ई.) ने वर्तमान ललिता घाट के उपरोक्त तीनों नामों से अलग-अलग घाटों का उल्लेख किया है। कालान्तर में नेपाली एवं राजराजेश्वरी घाटो का स्वतंत्र अस्तित्व समाप्त हो गया। ये घाट ललिताघाट में ही समाहित हो गये। वर्तमान घाट के दक्षिणी भाग का पुनर्निर्माण 1965 ई. में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा कराया गया।
दर्शनीय स्थल
घाट पर दर्शनीय स्थलों में ललिता देवी मंदिर (डी. 1/66) के अलावा, यहाँ समराजेश्वर शिव (1843 ई०), राजराजेश्वरी (डी. 1/58), और गंगादित्य (सूर्य) मंदिर भी स्थित हैं, जो सभी 18वीं शती ई० उत्तरार्ध के हैं। काशी के द्वादश आदित्यों में गंगादित्य को भी स्थान प्राप्त है। यहाँ स्थित गंगा को ललिता तीर्थ माना जाता है, जो श्रद्धालुओं के लिए महत्वपूर्णता रखता है।
काशी के पशुपतिनाथ (नेपाली मंदिर)
काशी में समराजेश्वर शिव मंदिर नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर के प्रतीक रूप में प्रतिष्ठित है, इसे नेपाली मंदिर भी कहा जाता है।काष्ठ एवं ईंट से निर्मित यह मंदिर कलात्मक पगोड़ा शैली का एक विशिष्ट उदाहरण है। इस मंदिर में नेपाल से मंगायी गयी लकड़ियों का उपयोग किया गया है। इस मंदिर में उसी लकड़ी का उपयोग किया गया है जिसका उपयोग करके नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर का निर्माण किया गया है। इस मंदिर के समीप नेपाल नरेश ने काष्ठ निर्मित नेपाली कोठी का भी निर्माण कराया था।
मठ और मोक्ष भवन
घाट तट पर सिद्धगिरि एवं उमरावगिरि मठ का निर्माण 18वीं शताब्दी के अन्त में किया गया। इन मठों का निर्माण सिद्धगिरि एवं उभरावगिरि नाम के गृहस्थ साधुओं द्वारा किया था। इसके अलावा, सन् 1922 में रतनगढ़ (राजस्थान) के जवाहर मल खेमका ने काशी में मुमुक्षुओं के लिए मोक्ष भवन का निर्माण कराया था। इस भवन का निर्माण उन्होंने अपने पिता की स्मृति में करवाया था।
वर्तमान स्थिती
वर्तमान में, घाट के एक हिस्से में स्थानीय लोग स्नान कार्य करते हैं, जबकि घाट के उत्तरी भाग में सिवेज पम्पिंग स्टेशन है। यह घाट न केवल धार्मिक आकांक्षाओं का केंद्र है, बल्कि काशी की इतिहास और संस्कृति का प्रतीक भी है।