त्रिपुर भैरवी घाट, वाराणसी

लेख - Yogi Deep

Last Updated on July 26, 2025 by Yogi Deep

वाराणसी, जिसे काशी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है, अपने प्राचीन घाटों के लिए विश्वप्रसिद्ध है। इन घाटों में से एक है त्रिपुर भैरवी घाट, जिसे पहले वृद्धादित्य घाट के नाम से जाना जाता था। यह घाट धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं इस घाट का विस्तृत विवरण।

घाट का नामत्रिपुर भैरवी घाट (प्राचीन नाम वृद्धादित्य घाट)
क्षेत्रवाराणसी
निर्माणलगभग 17 शताब्दी ई०
निर्माताअज्ञात
विशेषताप्राचीन घाट
दर्शनीय स्थलत्रिपुर भैरवी मंदिर

त्रिपुर भैरवी घाट का इतिहास

त्रिपुर भैरवी घाट का नाम वहां स्थित त्रिपुर भैरवी मंदिर के कारण पड़ा, जो घाट के ऊपर की ओर गली में स्थित है। वहीं पास में स्थित वाराही घाट का नाम भी वहां स्थित वाराही देवी मंदिर के कारण पड़ा। पूर्व में यह घाट वृद्धादित्य घाट के नाम से जाना जाता था, जिसका उल्लेख गीर्वाणपद मंजरी जैसे ग्रंथों में मिलता है।

18वीं शताब्दी के अन्त में यहाँ त्रिपुर भैरवी मंदिर का पुनर्निर्माण किया जाने लगा, जिसके पश्चात इस घाट को त्रिपुर भैरवी घाट कहा जाने लगा। 1931 ई. तक इस घाट का दक्षिणी भाग पक्का था जबकि उत्तरी भाग अभी भी कच्चा था। जिसका उल्लेख काशी के प्रसिद्ध विद्वान डॉ० मोती चन्द्र नें अपनी पुस्तक काशी का इतिहास में किया है।

त्रिपुर भैरवी घाट, वाराणसी Tripur Bhairavi Ghat, Varanasi
त्रिपुर भैरवी घाट, वाराणसी Tripur Bhairavi Ghat, Varanasi

घाट का निर्माण और विकास

  • 20वीं शताब्दी की शुरुआत में दयानन्द गिरि द्वारा घाट के पक्के भाग का निर्माण करवाया गया।
  • दयानन्द गिरि ने यहाँ एक मठ (डी. 5/100) भी स्थापित किया, जिसके स्वामी शिवदत्त गिरि भी रह चुके हैं।
  • घाट के शेष कच्चे भाग का पक्का निर्माण उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 1958 ई. में कराया गया।

आधुनिक स्थिति एवं धार्मिक स्वरूप

आज त्रिपुर भैरवी घाट पूरी तरह से पक्का, स्वच्छ और सुव्यवस्थित है। घाट की सीढ़ियों के ऊपरी भाग में एक विशाल पीपल का वृक्ष है, जिसके नीचे कई छोटी-छोटी देवकुलिकाएँ स्थित हैं। इन देवकुलिकाओं में:

  • पंचायतन शैली में देवताओं की स्थापना है।
  • मध्य में शिवलिंग, और चारों ओर शक्ति, विष्णु, गणेश एवं सूर्य की आकृतियाँ बनी हैं।
  • एक विशेष देवकुलिका भी है जहाँ आदित्य रूप में सूर्य देव प्रतिष्ठित हैं।

घाट पर सम्पन्न होने वाले धार्मिक कार्य

त्रिपुर भैरवी घाट पर मुख्यतः स्थानीय लोग स्नान करते हैं। इसके अतिरिक्त यहाँ विभिन्न धार्मिक क्रियाएं भी सम्पन्न होती हैं, जैसे:

  • मुण्डन संस्कार
  • विवाह अनुष्ठान
  • गंगा पूजन (गंगा पुजैया)

यह घाट वाराणसी के धार्मिक जीवन का एक सक्रिय और जीवंत केंद्र है। जहाँ अधिकतर स्थानीय लोग गंगा स्नान के पश्चात माता त्रिपुर भैरवी के दर्शन-पूजन से माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।


त्रिपुर भैरवी घाट, वाराणसी के उन घाटों में से एक है जो न केवल धार्मिक रूप से महत्त्वपूर्ण है, बल्कि ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी विशिष्ट स्थान रखता है। यहाँ की देवस्थापना, परंपराएं और स्थानीय जीवन का सम्मिलन इसे एक अद्वितीय घाट बनाता है। यदि आप काशी की सांस्कृतिक आत्मा को जीना चाहते हैं, तो त्रिपुर भैरवी घाट की यात्रा अवश्य करें।

Google Geo Location

आदि काशी - Aadi Kashi

Aadi Kashi आदि काशी के इस वेबसाइट पर आपका स्वागत है। इस वेबसाइट को काशी के अध्यात्मिक एवं प्राचीनता को समझने हेतु बनाया गया है। काशी यूं तो कई युगों पुराना है, परन्तु इसे समझना उतना ही जटिल है। बस इसी जटिलता को सरल बनाने के उद्देश्य से इस वेबसाइट को बनाया गया है।